Home > देश > सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, बिना रीति-रिवाज और सात फेरे लिए बिना हिन्दू शादी मान्य नहीं

सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, बिना रीति-रिवाज और सात फेरे लिए बिना हिन्दू शादी मान्य नहीं

पीठ ने आगे कहा है कि जब तक विवाह उचित संस्कारों के साथ संपन्न नहीं किया जाता है यह हिंदू विवाह की धारा 7(1 )के अंतर्गत संपन्न नहीं माना जाएगा

सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, बिना रीति-रिवाज और सात फेरे लिए बिना हिन्दू शादी मान्य नहीं
X

नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया है कि हिन्दू रीति-रिवाज से की गई शादी तभी वैध होगी, जब इसमें शादी से जुड़ी रीतियों का पालन हो। हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 7 के तहत इसमें सप्तपदी (सात फेरों जैसी रीति) का पालन होना चाहिए अन्यथा शादी मान्य नहीं होगी।

गत 1 मई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय में कहा कि बगैर हिंदू रीति रिवाज के हिंदू विवाह को वैध नहीं माना जा सकता है और न ही इसे हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत मान्यता मिलेगी जब तक यह उचित संस्कारों के साथ संपन्न नहीं होता है यह विवाह की श्रेणी में नहीं आएगा।

युवाओं को नसीहत दी

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना एवं अगस्टाइन जॉर्ज ने अपने फैसले में युवाओं को नसीहत भी दी है कि वो शादी की रीतियों को निभाये बिना पति-पत्नी का दर्जा हासिल करने की कोशिश न करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वीजा जैसी कुछ व्यावहारिक सहूलियतों के लिए बिना फेरे लिए शादी का रजिस्ट्रेशन न कराएं। कोर्ट ने कहा कि शादी एक पवित्र बंधन है, एक संस्कार है, जिसकी भारतीय समाज में अपनी एक अहमियत है। शादी कोई गाने, डांस करने, शराब पीने, खाने-पीने और दहेज लेने का आयोजन नहीं है। यह ऐसा अहम आयोजन है, जिसमें दो लोग जीवन भर के साथ निभाने के लिए आपस में जुड़ते हैं। इसके लिए जरूरी है कि इसकी रीतियों का निष्ठा से पालन हो।

प्रचलित संस्कारों, परंपरा एवं रीति रिवाज आवश्यक -

पीठ ने आगे कहा है कि जब तक विवाह उचित संस्कारों के साथ संपन्न नहीं किया जाता है यह हिंदू विवाह की धारा 7(1 )के अंतर्गत संपन्न नहीं माना जाएगा । धारा 7 की उप धारा( 2) बताती है कि वर- वधु के द्वारा पवित्र अग्नि के समक्ष साथ फेरे लेने के बाद ही विवाह संपन्न माना जाएगा । हिंदू विवाह को प्रचलित संस्कारों, परंपरा एवं रीति रिवाज के द्वारा संपन्न किया जाना चाहिए। न्यायालय ने ये फैसला एक महिला एवं एवं उसके पूर्व पति द्वारा दायर याचिका के संबंध में दिया है। जिसमें पत्नी ने अपनी तलाक की याचिका को मुजफ्फरपुर न्यायालय से रांची न्यायालय में स्थांतरित करने की अपील की है।

Updated : 3 May 2024 6:45 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

स्वदेश डेस्क

वेब डेस्क


Next Story
Top